भारत वर्ष में वर्ष भर त्यौहारों (Hindu festivals) को हर्षोल्लास से मनाया जाता है सनातन धर्म में पूरे वर्ष भर व्रतों को किया जाता है सभी देवी देवताओं को पूजा जाता है।
हिंदू धर्म में व्रत और त्योहार का बहुत ज्यादा महत्व रहा है। साल के सभी 12 महीनों में शायद ही कोई ऐसा महीना होगा जब कोई व्रत या त्योहार न पड़ता हो। ऐसा माना जाता है कि व्रत और त्योहार करने से सभी पापों का नाश हो जाता है।
हिन्दू धर्म में हिंदी महीनों के नाम –
- चैत्र (मार्च-अप्रैल)
- वैशाख (अप्रैल -मई )
- ज्येष्ठ (मई -जून ) हिंदी मास
- आषाढ़ (जून-जुलाई)
- श्रावण(जुलाई-अगस्त)
- भाद्रपद(अगस्त-सितम्बर)
- आश्विन (सितम्बर-अक्टूबर)
- कार्तिक (अक्टूबर-नवम्बर)
- मार्गशीर्ष (नवंबर- दिसंबर)
- पौष( दिसंबर -जनवरी)
- माघ (जनवरी-फरवरी)
- फाल्गुन( फरवरी-मार्च)
1 संवत्सर का पहला मास चैत्र
फाल्गुन जो कि हिंदू वर्ष का अंतिम मास होता है। इसके तुरंत बाद ही लगता है चैत्र का महीना। चेत्र का महीना इस ब्रह्मांड का पहला दिन माना जाता है इसी महीने से होती है हिंदू नववर्ष की शुरूआत। जिसे संवत्सर कहा जाता है।
हिंदू वर्ष का पहला मास होने के कारण चैत्र की बहुत ही अधिक महता होती है। अनेक पावन पर्व इस मास में मनाये जाते हैं। चैत्र मास की पूर्णिमा चित्रा नक्षत्र में होती है इसी कारण इसका महीने का नाम चैत्र पड़ा।
मान्यता है कि सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा ने चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना आरंभ की थी। वहीं सतयुग की शुरुआत भी चैत्र माह से मानी जाती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी महीने की प्रतिपदा को भगवान विष्णु के दशावतारों में से पहले अवतार मतस्यावतार अवतरित हुए एवं जल प्रलय के बीच घिरे मनु को सुरक्षित स्थल पर पंहुचाया था। जिनसे प्रलय के पश्चात नई सृष्टि का आरंभ हुआ।
चैत्र मास के पर्व–त्यौहार
भाई दूज
पर्व को हर भाई बहन बड़ें से धूमधाम से मानाते हैं। यह पर्व हर वर्ष चैत्र माह से कृष्ण पक्ष की द्वितीया के दिन पड़ती है।
बासोड़ा
चैत्र माह के अष्टमी तिथि को भारत के कई हिस्से में बसोड़ा नामक पर्व को उत्साह के साथ मनाया जाता है।
पापमोचिनी एकादशी
चैत्र मास की कृष्ण एकादशी बहुत ही शुभ मानी जाती है। मान्यता है कि इस एकादशी का उपवास करने से सभी प्रकार के पापों का नाश औहोता है। .
चैत्र अमावस्या
चूंकि यह संवत्सर की पहली अमावस्या होती है इसलिये इसे पितृ कर्म के लिये बहुत ही शुभ फलदायी माना जाता है। अपने पितरों की शांति के लिये इस दिन तर्पण करना चाहिये।
चैत्र नवरात्रि
चैत्र शुक्ल की पहली तिथि से नवरात्रि का आरंभ होता है।चैत्र मास का विशेष आकर्षण होते हैं मां की उपासना के नौ दिन शुक्ल प्रतिपदा से लेकर नवमी तक माता के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है।
राम नवमी – चैत्र
शुक्ल नवमी को प्रभु श्री राम की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। मान्यता है कि रामलला का जन्म इसी दिन हुआ था। इसलिये यह दिन बहुत ही शुभ माना जाता है।
कामदा एकादशी
चैत्र शुक्ल एकादशी को कामदा एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान श्री हरि यानि विष्णु भगवान की पूजा की जाती है।
चैत्र पूर्णिमा
संवत्सर की पहली पूर्णमासी होती है। इसलिये यह पूर्णिमा उपवास दान-पुण्य आदि धार्मिक कार्यों के लिये बहुत ही शुभ होती है।
2 वैशाख मास
सनातन धर्म में धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से वैशाख माह को विशेष महत्व दिया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र के बाद वैशाख का महीना आता है।
चैत्र पूर्णिमा के उपरांत जब प्रतिपदा तिथि आती है तभी से वैशाख माह की शुरुआत होती है। वैशाख मास की पूर्णिमा विशाखा नक्षत्र में होने के कारण इस मास का नाम वैशाख पड़ा।
अंग्रेजी महीने के अनुसार ये अप्रैल या मई में शुरु होता है। कुछ विद्वान बैसाखी से भी इस महीने का आरंभ मानते हैं। इस दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करते हैं इसलिए इस दिन को मेष संक्राति भी कहा जाता है।
इस महीने में बहुत सारे व्रत, पर्व और त्यौहार आते हैं। सबसे बड़ी बात साल में एक बार होने वाले वृंदावन के श्री बांके बिहारी जी के चरण दर्शन भी इसी महीने में किए जा सकते हैं।
वैशाख में ही गंगा मइया धरती पर पुनः आई थी इसलिए गंगा स्नान करना अक्षय पुण्य देने वाला और जन्मों के पापो को धोने वाला माना जाता है। पूरा महीना स्नान और दान के लिए बहुत पवित्र है।
वैशाख महीने के व्रत और त्यौहार
वैशाखी पर्व
वैशाखी को हर वर्ष बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है। इस दिन को सिख धर्मावंलबियों का नया वर्ष आरंभ होता है। पूरे भारत में इस पर्व को हर्षोल्लास के साथ मानाया जाता है।
वरुथिनी एकादशी
वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरूथिनी एकादशी व्रत रखा जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा उपासना की जाती है।
वैशाख अमावस्या
इस अमावस्या को स्नान दान व तर्पण के लिये बहुत ही शुभ माना जाता है।
अक्षय तृतीया पर्व
वैशाख मास का सबसे महत्वपूर्ण पर्व अक्षय तृतीया का ही माना जाता है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया कहा जाता है।
मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु के अवतार नर-नारायण ने अवतार लिया था। भगवान विष्णु के ही अन्य अवतार भगवान परशुराम की जयंती भी इसी दिन मनाई जाती है।
इस कारण यह बहुत ही सौभाग्यशाली दिन माना जाता है। इस दिन किसी भी शुभ कार्य को बिना मुहूर्त देखें किया जा सकता है।
सीता नवमी
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को सीता नवमी मनायी जाती है। मान्यता है कि इस दिन माता सीता धरती मां की कोख से प्रकट हुई थी।
मोहिनी एकादशी
मास के शुक्ल एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन कामना पूर्ति के लिए व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा उपासना की जाती है।
पूर्णिमा
वैशाख पूर्णिमा को भगवान बुद्ध की जयंती पूर्णिमा के रूप में मनाई जाती है।
3 ज्येष्ठ माह
हिंदू पंचाग के अनुसार ज्येष्ठ या फिर जेठ का महीना चंद्र मास का तीसरा माह होता है जो चैत्र और वैशाख के बाद आता है।
चंद्र मास के सभी माह नक्षत्रों के नाम पर होते हैं, जेठ का महीना ज्येष्ठा नक्षत्र के नाम पर आधारित है।
वैसे तो गर्मियों की शुरूआत फाल्गुन मास के खत्म होते होते शुरू हो जाती हैं, पर जब ज्येष्ठ का आरंभ होता है तो गर्मी अपने शिखर पर पहुंच जाती है।
इसलिये पंडितों ने ज्येष्ठ में जल का महत्व बहुत अधिक माना है और जल से जुड़े व्रत और त्यौहार इसी महीने में मनाये जाते हैं।
जेठ माह के व्रत व त्यौहार
ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष में कोई विशेष पर्व नहीं होता है लेकिन शुक्ल पक्ष में जल के महत्व को बताने वाले दो महत्वपूर्ण त्योहार गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी के साथ कुछ प्रमुख पर्व पड़ते हैं।
अपरा एकादशी
ज्येष्ठ मास में कृष्ण पक्ष एकादशी को अपरा एकादशी कहा जाता है, जिसमें भगवान विष्णु की पूजा होती है।
ज्येष्ठ अमावस्या
ज्येष्ठ अमावस्या की तिथि पूर्वजों की शांति के लिये बहुत ही शुभ मानी जाती है। साथ ही इसी दिन शनिदेव की जयंती मनाई जाती है और वट सावित्री का व्रत भी रखा जाता है।
गंगा दशहरा
गंगा दशहरा मां गंगा के महत्व को बतलाता और जल के सरंक्षण का संदेश देता है। ये इस महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है।
निर्जला एकादशी
गंगा दशहरा के अगले दिन निर्जला एकादशी होती है इस दिन बिना अन्न जल के कठोर व्रत रखा जाता है। यह व्रत ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को रखा जाता है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा, वट पूर्णिमा व्रत
वट पूर्णिमा व्रत, वट सावित्री व्रत की तरह ही होता है।
4 आषाढ़ माह
पंचाग के अनुसार साल का चौथा महिना होता है आषाढ़ मास। वर्षा ऋतु का आगमन और आषाढ़ मास की शुरूआत लगभग एक साथ ही होती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार जून या जुलाई माह में आषाढ़ का महीना पड़ता है।
योगिनी एकादशी
आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहा जाता है यह तिथि बहुत ही शुभ मानी जाती है, एकादशी व्रत में भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व माना गया है।
आषाढ़ अमावस्या
अमावस्या तिथि बहुत ही पवित्र तिथि मानी जाती है, विशेष कर स्नान, दान-पुण्य, पितृ कर्म आदि के लिये तो बहुत ही पुण्य फलदायी मानी जाती है।
गुप्त नवरात्रि
प्रत्येक वर्ष में चार नवरात्रि आती है, साल की पहली नवरात्रि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में आरंभ होती है जिसे वासंती नवरात्र भी कहते हैं।
दूसरी नवरात्रि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष से आरंभ होती हैं, जिसे शारदीय नवरात्र के रूप में मनाया जाता है। लेकिन चैत्र नवरात्रि और आश्विन नवरात्रि के अलावा भी साल में दो नवरात्रि और आती है जिसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता हैं ।
पहली गुप्त नवरात्रि माघ माह में आती है और दूसरी आषाढ़ माह में, इन दोनों गुप्त नवरात्रियों का भी बड़ा महत्व माना गया है।
जगन्नाथ यात्रा
आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकाली जाती है, इसमें भगवान श्री कृष्ण, माता सुभद्रा व बलराम का पुष्य नक्षत्र में रथोत्सव निकाला जाता है।
देवशयनी एकादशी
देवशयनी एकादशी को बहुत ही खास एकादशी माना गया है, इस दिन से धर्म-कर्म का दौर शुरु होने के साथ ही देवशयनी एकादशी से सभी मांगलिक कार्यक्रम होना कुछ समय के लिए बंद हो जाते हैं। कहा जाता हैं कि भगवान विष्णु इस दिन से चतुर्मास के लिये सो जाते हैं और देवउठनी एकादशी को ही जागते हैं।
पूर्णिमा, व्यास पूर्णिमा को महापर्व के रूप मनाया जाता है।
5 श्रावण मास
हिन्दू पंचांग के अनुसार, श्रावण माह पांचवां महीना होता है, जिसमें झमाझम बारिश होती है। वहीं धार्मिक दृष्टि से यह माह बेहद पावन होता है। यह महीना भगवान शिव को बेहद प्रिय है। इस महीने कई प्रमुख तीज-त्योहार मनाए जाते हैं।
संकष्टी चतुर्थी
इस दिन गणेश जी का व्रत किया जाता है।धार्मिक मान्यता के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि संकष्टि के दिन गणपति की पूजा-आराधना करने से समस्त प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती हैं।
कामिका एकादशी
धार्मिक मान्यता के अनुसार, श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को कामिका एकादशी का व्रत किया जाता है।
एकादशी तिथि भगवान विष्णु जी को समर्पित है।
मासिक शिवरात्रि, प्रदोष व्रत (कृष्ण)
श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष का व्रत रखा जाता है भगवान शिव को यह अति प्रिय है।
श्रावण अमावस्या
धार्मिक मान्यता के अनुसार, अमावस्या तिथि पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए कर्मकांड किया जाता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान किया जाता है।
हरियाली तीज
हरियाली तीज का त्योहार विशेष रूप से महिलाओं के द्वारा मनाया जाता है। इस त्योहार में महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। हर साल हरियाली तीज श्रावण शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनायी जाती है।
नाग पंचमी
हर साल नाग पंचमी का पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता की पूजा का विधान है।
श्रावण पुत्रदा एकादशी
धार्मिक मान्यता के अनुसार, श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। संतान सुख के लिए यह व्रत भगवान विष्णु जी के लिए रखा जाता है।
श्रावण पूर्णिमा/रक्षा बंधन (Raksha Bandhan)
धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से श्रावण पूर्णिमा का विशेष महत्व माना जाता है। श्रावण पूर्णिमा के दिन ही भाई-बहन का पावन उत्सव रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाता है। बहन अपने भाई की दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की कामना के लिए उन्हें राखी बांधती है।
गायत्री जयंती
हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि के दिन गायत्री जयंती मनाई जाती है। हालांकि कुछ स्थानों पर गंगा दशहरा के दिन भी गायत्री जंयती का उत्सव मनाया जाता है। यह पर्व वेदों की देवी मां गायत्री को समर्पित त्योहार है।
6 भाद्रपद मास
हिंदू कैलेंडर का छठवां महीना होता है भाद्रपद। यह माह धर्म-कर्म, व्रत त्योहार के लिहाज से महत्वपूर्ण होता है। इस माह में भगवान श्रीकृष्ण और श्रीगणेशजी का जन्मोत्सव मनाया जाता है।
यह माह चातुर्मास का दूसरा महीना होता है। इस महीने में उत्तम स्वास्थ्य की दृष्टि से दही का सेवन नहीं किया जाता है। धर्म, मंत्र जप, संयम का पालन करना आवश्यक होता है।
इस माह में अनेक प्रमुख व्रत-त्योहार आते हैं। इसी माह की पूर्णिमा के दिन से श्राद्धपक्ष भी प्रारंभ होंगे।भादों भगवान श्रीकृष्ण के प्रकटोत्सव का मास है।
इस दिन भगवान विष्णु के 8वें अवतार के रूप में श्रीकृष्ण ने भादों के महीने के कृष्ण पक्ष में रोहिणी नक्षत्र के अंतर्गत हर्षण योग वृष लग्न में जन्म लिया।
श्रीकृष्ण की उपासना को समर्पित भादों मास विशेष फलदायी कहा गया है। भाद अर्थात कल्याण देने वाला। कृष्ण पक्ष स्वयं श्रीकृष्ण से संबंधित है।भादों का माह भी, सावन की तरह ही पवित्र माना जाता है। इस माह में कुछ विशेष पर्व पड़ते हैं जिनका अपना-अपना अलग महत्त्व होता है।
भादो मास के व्रत और त्योहार
कजरी तीज
भाद्रपद कृष्ण तृतीया को कज्जली तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस त्यौहार को राजस्थान के कई क्षेत्रों में विशेष रूप से मनाया जाता है।
यह माना जाता है कि इस पर्व का आरम्भ महाराणा राजसिंह ने अपनी रानी को प्रसन्न करने के लिये किया था।
जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami )
भाद्रपद मास में आने वाला अगला पर्व कृष्ण अष्टमी या जन्माष्टमी के नाम से जाना जाता है। यह उपवास पर्व उत्तरी भारत में विशेष महत्व रखता है।
पूरे भारत में जन्माष्टमी बड़ी श्रद्धा और धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन में व्रत रखकर श्रद्धालु रात 12 बजे तक नाना प्रकार के सांस्कृतिक व आध्यात्मिक आयोजन करते हैं।
इस दिन के लिए मंदिरों की सजावट हफ्तों पहले से शुरू हो जाती है। इस मौके पर मथुरा में विशेष आयोजन किए जाते हैं। आधी रात को कृष्ण का जन्म होता है।
गोविंद की पूजा-अर्चना के बाद प्रसाद वितरण किया जाता है और भक्त व्रत खोलते हैं।
अजा एकादशी
भाद्रपद माह की कृष्ण एकादशी को अजा एकादशी कहा जाता है।
भाद्रपद अमावस्या
भाद्रपद मास की अमावस्या पितृ शांति के लिये पिंड दान, तर्पण आदि धर्म कर्म के कामों के लिये काफी शुभ फलदायी मानी जाती है।
गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi)
भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थ तिथि को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है।
इस दिन भगवान श्री गणेश की पूजा, उपवास व आराधना का शुभ कार्य किया जाता है। पूरे दिन उपवास रख श्री गणेश को लड्डूओं का भोग लगाया जाता है।
प्राचीन काल में इस दिन लड्डूओं की वर्षा की जाती थी, जिसे लोग प्रसाद के रूप में लूट कर खाया जाता था। गणेश मंदिरों में इस दिन विशेष धूमधाम रहती है। गणेश चतुर्थी को चन्द्र दर्शन नहीं करने चाहिए।
ऋषि पंचमी
भाद्रपद माह की शुक्ल पंचमी को ऋषि पंचमी के नाम से जाना जाता है। इस दिन महिलाएं सप्त ऋषियों की पूजा करती हैं व उपवास रखती हैं।
देवझूलनी एकादशी
भाद्रपद, शुक्ल पक्ष, एकादशी तिथि, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में देवझूलनी एकादशी मनाई जाती है। देवझूलनी एकादशी में विष्णु जी की पूजा, व्रत, उपासना करने का विधान है।
अनंत चतुर्दशी
भाद्रपद माह में आने वाले पर्वों की श्रंखला में अगला पर्व अनन्त चतुर्दशी के नाम से प्रसिद्ध है।
भाद्रपद पूर्णिमा
भादो पूर्णिमा महा का अंतिम दिन होता है।
7 अश्विन मास
पंचांग के अनुसार साल के सातवें महीने को आश्विन महीना कहा जाता है।
ये भाद्रपद के बाद और कार्तिक माह से पहले आता है। हिंदू कैलेंडर में हर महीना किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है।
जैसे- सावन शंकर का महीना होता है, भादो को श्रीकृष्ण का माह माना जाता है उसी प्रकार अश्विनी माह को देवी दुर्गा का माह माना जाता है। इस माह में ही पितरों के श्राद्ध् का विधान है और शारदीय नवरात्रि भी इस माह में ही संपन्न होती हैं।
अश्विन माह के कुछ विशेष व्रत और त्यौहार
पितृपक्ष (Pitru Paksh)
भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से प्रारंभ होने वाले पितृपक्ष का समापन आश्विन मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को होता है। इन श्राद्ध के 16 दिनों में पितरों को शांत करने और उनसे आशीर्वाद लेने के लिए उनका तर्पण और पिंडदान किया जाता है। हिंदू धर्म में आश्विन कृष्ण अमावस्या को पितरों की पूजा के लिए श्रेष्ठ माना गया है।
विघ्नराज संकष्टी
इस दिन भगवान श्री गणेश की पूजा व आराधना की जाती है। इसके साथ ही इस दिन शिक्षक दिवस भी है।
सर्वपितृ आमवस्या
इस दिन को पितृ पक्ष का अंतिम दिन माना जाता है। इस एक दिन श्राद्ध विधि करने से पितृ को संतुष्टि मिल जाती है।
शारदीय नवरात्र (Navaratri)
अमावस्या के बाद प्रतिपदा को शारदीय नवरात्रि आरंभ होते हैं यह 9 दिनों तक मनाये जाते हैं इसमें मां शेरावाली के स्वरूप की पूजा की जाती है।
दशहरा (Dussehra )
आश्विन मास की दशमी तिथि को दशहरे का त्यौहार मनाया जाता है इस त्यौहार को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है और यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का संकेत है।
8 कार्तिक माह (Kartik Maas)
हिंदू कैलेंडर में कुल 12 चंद्र मास रहते हैं। कार्तिक आठवां चंद्र माह है। धर्म शास्त्रों में कार्तिक महीने को सबसे पुण्य का महीना माना गया है। स्कंद पुराण में इसे सबसे अच्छा महीना माना गया है, वहीं पद्म पुराण में कार्तिक को धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष देने वाला माह माना गया है।
कार्तिक माह के व्रत व त्यौहार
करवा चौथ व्रत
करवा चौथ व्रत कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन मनाया जाता है| यह पवित्र पर्व सौभाग्यवती स्त्रियाँ मनाती हैं|
पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन चंद्रमा की पूजा की जाती है. इसी के साथ देवी गौरी भगवान शिव एवं गणेश जी की पूजा अर्चना की जाती है|
करवाचौथ के दिन उपवास रखकर रात्रि समय चन्द्रमा को अर्घ्य देने के उपरांत ही भोजन करने का विधान है.
अहोई अष्टमी व्रत
यह व्रत कार्तिक मास की अष्टमी तिथि के दिन संतानवती स्त्रियों के द्वारा किया जाता है. अहोई अष्टमी का पर्व मुख्य रुप से अपनी संतान की लम्बी आयु की कामना के लिये किया जाता है. अहोई अष्टमी का व्रत अहोई आठे के नाम से भी जाना जाता है.इस पर्व के विषय में एक ध्यान देने योग्य बात यह है कि इस व्रत को उसी वार को किया जाता हैजिस दिन दिपावली होती हैं।
धनतेरस
दिवाली से दो दिन पहले धन-तेरस अथवा धन त्रयोदशी का त्यौहार मनाया जाता है. इस दिन नए बर्तन, आभूषण खरीदने की परंपरा है. संध्या समय में घर के मुख्य द्वार पर एक बडा़ दीया जलाया जाता है.
दीपावली (Diwali)
कार्तिक मास की अमावस्या को दीवाली का पर्व हर वर्ष मनाया जाता है| भारतवर्ष में हिन्दुओं का यह प्रमुख त्यौहार है|
इस दिन सभी लोग सुबह से ही घर को सजने का कार्य आरम्भ कर देते हैं. संध्या समय में दीये जलाते हैं. लक्ष्मी तथा गणेश पूजन करते हैं. आस-पडौ़स में एक-दूसरे को मिठाइयां व उपहार बांटते हैं. रिश्तेदारों तथा मित्रों को मिठाइयों का आदान-प्रदान कई दिन पहले से ही आरम्भ हो जाता है. रात में बच्चे तथा बडे़ मिलकर पटाखे तथा आतिशबाजी करत
गोवर्धन पूजा
इसी दिन रात्रि समय में गोवर्धन पूजा भी की जाती है. गोवर्धन पूजा में गोबर से गोवर्धन बनाया जाता है और उसे भोग लगाया जाता है. उसके बाद धूप-दीप से पूजन किया जाता है. फिर घर के सभी सदस्य इस गोवर्धन की परिक्रमा करते हैं.
भैया दूज
दिवाली का पर्व भैया दूज या यम द्वित्तीया के दिन समाप्त होता है. यह त्यौहार कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वित्तीया को मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक करती हैं और मिठाई खिलाती हैं. भाई बदले में बहन को उपहार देते हैं.
9 मार्गशीर्ष मास
मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा मृगशिरा नक्षत्र से युक्त होती है, इसलिए इस मास का नाम मार्गशीर्ष पड़ा है। भगवान श्रीकृष्ण को मार्गशीर्ष मास अत्यंत प्रिय है। मार्गशीर्ष का महीना हिन्दू कैलेंडर का नौवां महीना होता है। जिसे अगहन का महीना भी कहते हैं।
सोमवती अमावस्या
इस दिन स्नान, दान आदि का विशेष महत्व होता है। यह अगहन अमावस्या या पितृ अमावस्या भी कहलाता है। इस दिन पितरों का स्मरण करते हैं।
मोक्षदा एकादशी
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति मोह माया के बंधन से मुक्त हो जाता है। आज के दिन गीता जयंती भी होती है क्योंकि इस दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था।
उत्पन्ना एकदशी
मार्गशीर्ष (अगहन) मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी मनाई जाती है। इस दिन व्रत उपवास रखकर मनोकामना पूर्ति के लिए भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
मार्गशीर्ष अमावस्या- मार्गशीर्ष (अगहन) मास की अमावस्या तिथि को अगहन एवं दर्श अमावस्या भी कहा जाता है। इस अमावस्या का महत्व भी कार्तिक अमावस्या के समान ही फलदायी माना गया है।
10 पौष माह
पौष मास में सूर्य की उपासना का विशेष महत्व माना जाता है क्योंकि इस महीने में ठंड अधिक बढ़ जाती है।
विक्रम संवत में पौष का महीना दसवां महीना होता है। पोष पूर्णिमा को चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में रहता है इसलिए इस मास को पौष का मास कहा जाता है।
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस पूरे महीने किसी भी तरह के मांगलिक कार्य नहीं किये जाते।
लेकिन धार्मिक दृष्टि से इस महीने का काफी महत्व माना गया है। इस महीने में भगवान सूर्यनारायण की विशेष पूजा अर्चना कर उनसे उत्तम स्वास्थ्य और मान-सम्मान की प्राप्ति की जाती है।
पौष मास के व्रत त्यौहार
सफला एकादशी
पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी कहा जाता है।
पौष अमावस्या
पौष अमावस्या का भी बहुत अधिक महत्व माना जाता है। इस दिन को पितृदोष, कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिये भी उपवास रखने के साथ-साथ विशेष पूजा अर्चना की जाती है
लोहड़ी
लोहड़ी का पर्व पंजाब व हरियाणा राज्य में बड़े ही धूम- धाम से मनया जाता है।
मकर संक्रांति
मकर संक्रांति के दिन माना जाता है कि सूर्य उत्तरायण होते हैं। इस दिन को हिंदू धर्म में नव वर्ष के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन सूर्य धनु राशि से गोचर कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। उत्तरायण का पर्व विशेष तौर पर गुजरात समेत उत्तर भारत के कुछ राज्यों में मनया जाता है। मकर संक्रांति का त्यौहार 14 जनवरी को मनाया जाता है।
पौष पुत्रदा एकादशी
पौष मास की शुक्ल एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन उपवास रखकर विधिपूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करने से व्रती को संतान का सुख मिलता है।
पौष पूर्णिमा
इस मास का बहुत ही पावन दिन माना जाता है। धार्मिक कार्यों, भजन-कीर्तन आदि के साथ स्नान-दान आदि के लिये भी यह दिन बहुत शुभ माना जाता है। पौष पूर्णिका का उपवास रखने की भी धार्मिक ग्रंथों में मान्यता है।
11 माघ मास
मान्यताओं के अनुसार, माघ का महीना भगवान श्रीकृष्ण के माधव स्वरूप को समर्पित बताया गया है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माघ माह में किसी भी स्थान के जल को गंगातुल्य माना जाता माघ मास भगवान गणेशजी के साथ-साथ भगवान शिव, माता पार्वती, कार्तिकेय, नंदी और चंद्रदेव की पूजा का विधान है।
यूं तो हर मास का अपना अलग महत्व होता है लेकिन माघ मास ( माघ मास ) को काफी पवित्र माना जाता है। इसी महीने में संगम पर कल्पवास भी किया जाता है।
इस महीने में स्नान और दान करना काफी शुभ माना जाता है। इस महीने में प्रयाग, कुरुक्षेत्र, हरिद्धार, काशी, नासिक, जैन और अन्य पवित्र तीर्थों और नदियों में स्नान का बड़ा महत्व है।
माघ मास महत्वपूर्ण त्योहार व्रत
सकट चौथ
सकट चौथ का व्रत संतान के लिए किया जाता है।इस दिन तिल का प्रयोग किया जाता ह।
मौनी अमावस्या
माघ के महीने में आने वाली अमावस्या को मौनी अमावस्या या माघ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र संगम में भगवान का निवास होता है इसलिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है।
वसंत पंचमी
वसंत पञ्चमी या श्रीपंचमी एक हिन्दू का त्योहार है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिम बंगाल, नेपाल और कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है। इस दिन पीले वस्त्र धारण करते हैं।
जया एकादशी
स्नान-दान और पुण्य प्रभाव के महीने माघ मास की शुक्लपक्ष एकादशी को जया एकादशी कहा गया है। जया एकादशी के पुण्य के कारण मनुष्य सभी पापों से मुक्त होकर जीवन के हरेक क्षेत्र में विजयश्री प्राप्त करता है और मोक्ष का अधिकारी हो जाता है।
माघ पूर्णिमा
माघ पूर्णिमा को महा माघी और माघ पूर्णिमा जैसे नामों से भी जानते हैं। इस दिन चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व होता है। पूर्णिमा के दिन दान, पुण्य और स्नान को शुभ फलदायी माना जाता ह
12 फाल्गुन मास
महाशिवरात्रि एवं होली जैसे कई बड़े बड़े त्यौहारों की सौगात लेकर आया फाल्गुन का महीना ।
हिंदू पंचाग का आखिरी महीना होता है इस महीने की पूर्णिमा को फाल्गुनी नक्षत्र होने के कारण इस महीने का नाम फाल्गुन है. इस महीने को आनंद और उल्लास का महीना कहा जाता है.
फाल्गुन मास के व्रत और त्यौहार
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को माता सीता की जयंती के रूप मनाया जाता है । इस अष्टमी को जानकी जयंती और सीता अष्टमी के नाम से जाना जाता है ।
महाशिवरात्रि
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भगवान भोलेनाथ की आराधना का सबसे बड़ा महापर्व महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता हैं ।
होली
फाल्गुन पूर्णिमा को यह पर्व मनाया जाता है इस दिन होलिका पूजन कर सांय के समय होलिका दहन किया जाता है । होली दहन के अगले दिन रंग वाली होली खेली जाती हैं ।