श्री रामलला विराजमान

Ram lala

राम जन्म

भगवान श्रीरामचन्द्र हिंदू सनातन धर्म के सबसे पूज्यनीय सबसे महानतम देव माने जाते हैं । उनका व्यक्तित्व मर्यादा, नैतिकता, विनम्रता, करूणा, क्षमा, धैर्य, त्याग तथा पराक्रम का सर्वोत्तम उदाहरण माना जाता है ।

श्रीराम का जीवनकाल एवं पराक्रम महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित संस्कृत महाकाव्य रामायण के रूप में वर्णित हुआ है।

……………… चैत्रे नावमिके तिथौ।।

नक्षत्रेऽदितिदैवत्ये स्वोच्चसंस्थेषु पञ्चसु।

ग्रहेषु कर्कटे लग्ने वाक्पताविन्दुना सह।।

अर्थात् चैत्र मास की नवमी तिथि में, पुनर्वसु नक्षत्र में, पांच ग्रहों के अपने उच्च स्थान में रहने पर तथा कर्क लग्न में चन्द्रमा के साथ बृहस्पति के स्थित होने पर (रामजी का जन्म हुआ)।

राम त्रेता युग के दशरथ  जी के पुत्र हैं। वह भगवान विष्णु जी के  सातवें अवतार है।

श्री राम जी का जन्म देवी कौशल्या के गर्भ से शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अयोध्या में हुआ था। भारत में श्रीराम अत्यंत पूजनीय है।

गोस्वामी तुलसीदास जी ने राम जी के जीवन पर केंद्रित भक्ति भाव पूर्ण  सुप्रसिद्ध महाकाव्य रामचरितमानस की रचना की है।

राम जी की प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है।

राम रघुकुल में जन्मे थे, जिसकी परंपरा के अनुसार कहा जाता है कि रघुकुल रीति सदा चली आई प्राण जाए पर वचन ना जाए अथार्त पिता के वचन की रक्षा के लिए राम ने सब कुछ त्याग के 14 वर्ष का वनवास स्वीकार किया।

राम जन्मभूमि

राम मंदिर निर्माण हमारी आस्था की सबसे बड़ी विजय है।  जो कि हमें हिंदू होने पर गौरवान्वित करती है ।

हिंदुओं की मान्यता के अनुसार अयोध्या भगवान राम की जन्मस्थली है। आज वो दिन आ गया है जब हम सब श्री राम जन्म भूमि पर रामलला का विशालकाय एवं भव्य मंदिर बनते देखेंगे।

यह हमारा सौभाग्य होगा कि सभी राम भक्त अपना सपना साकार होने का अनुभव करेंगे।

अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर के लिए भूमि पूजन व निर्माण कार्य संपन्न हुआ ।  इस कार्य मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ प्रमुख संत व मंदिर से जुड़े प्रमुख लोगों के साथ 150 से 200 लोग उपस्थित थे ।

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भूमि पूजन का कार्यक्रम अभिजीत मुहूर्त में १२:४० मिनट में किया । गर्भ ग्रह से कार्य की शुरुआत होगी श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में किसी भी व्यक्ति को अयोध्या न आने की अपील की थी ।

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए गठित होने वाले ट्रस्ट का नाम है।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार ०५ फरवरी २०२० को लोकसभा में राम मंदिर पर चर्चा के दौरान घोषणा की कि राम मंदिर के लिए बनने वाले ट्रस्ट का नाम ‘श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र‘ होगा।

श्री राम प्रतिमा का वर्णन

योगी आदित्यनाथ जी ने अयोध्या में भगवान राम जी की प्रतिमा के लिए 447 करोड रुपए आवंटित किए हैं।

इस विशालकाय प्रतिमा की ऊंचाई 221 मीटर होगी। भगवान राम की यह प्रतिमा दुनिया में सबसे भव्य विशालकाय अत्यंत मनभावन होगी।

मूर्ति के ऊपर 20 मीटर ऊंचा छत्र और 50 मीटर का आधार होगा। अयोध्या में राम मूर्ति के साथ विश्राम घर,रामलीला मैदान, राम कुटिया बनवाई जाएगी।

और म्यूजियम  भी बनवाया जाएगा जिसमें अयोध्या का इतिहास, राम जन्मभूमि का इतिहास और भगवान विष्णु की सभी अवतारों की जानकारी होगी।

अयोध्या महत्वपूर्ण क्यों है?

अयोध्या , जिसे ऊद या अवध, शहर, दक्षिण- मध्य उत्तर प्रदेश राज्य, उतरी भारत भी कहा जाता है अयोध्या को साकेत धाम भी कहा जाता है |

अयोध्या जिला भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक जिला है। ज़िले का मुख्यालय अयोध्या है अयोध्या भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक अति प्राचीन धार्मिक नगर है।

यह पवित्र सरयू नदी के तट पर बसा है। इस नगर को मनु ने बसाया था और इसे ‘अयोध्या’ का नाम दिया जिसका अर्थ होता है, अ-युध्य अथार्थ ‘जहां कभी युद्ध नहीं होता

‘ इसे ‘कौशल देश’ भी कहा जाता था। अयोध्या मे सूर्यवंशी/रघुवंशी राजाओं का राज्य हुआ करता था ।

जिसमे भगवान श्री राम ने अवतार लिए थे। यहाँ पर सातवीं शाताब्दी में चीनी यात्री हेनत्सांग आया था। उसके अनुसार यहाँ 20 बौद्ध मंदिर थे तथा 3000 भिक्षु रहते थे। यह सप्त पुरियों में से एक है-

अयोध्या को हिंदुओं के सात पवित्र शहरों में से एक माना जाता है।

अयोध्या की गणना भारत की प्राचीन सप्तपुरीयो में से प्रथम स्थान पर की गई है। हिंदू पौराणिक इतिहास में पवित्र सात नगरों में अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, काशी, कांची, उज्जैन और द्वारिका को शामिल किया गया है।

अयोध्या राम के जन्म और महान महाकाव्य कविता रामायण में उसके जुड़ाव के कारण भी पूजनीय है। पारंपरिक इतिहास में अयोध्या कोसल राज्य की प्रारंभिक राजधानी थी।

स्कंद पुराण के अनुसार अयोध्या भगवान विष्णु के चक्र पर विराजमान है।

जब मनु ने ब्रह्मा जी से अपने लिए एक नगर बसाने   की बात कही तो वे उन्हें विष्णु जी के पास ले गए। विष्णु जी ने साकेत धाम अयोध्या मैं स्थान बताया जहां विश्वकर्मा ने नगर बसाया।

वेदों में अयोध्या को ईश्वर की नगरी बताया गया है। और इसकी संपन्नता कि तुलना स्वर्ग से की गई है।

अयोध्या वैभव ऐश्वर्य और ज्ञान की पौराणिक नगरी मानी जाती है।

राम एक ऐतिहासिक महापुरुष है और इसके पर्याप्त प्रमाण है  शोध अनुसार  पता चलता है कि भगवान राम का जन्म 5114 ईसा पूर्व हुआ था।

कई शताब्दी तक यह नगर सूर्यवंशी राजाओं की राजधानी रहा अयोध्या मूल रूप से हिंदू मंदिरों का शहर है।महाभारत के युद्ध के बाद अयोध्या उजड़ सी गई लेकिन उस दौर में भी श्री राम जन्म भूमि का अस्तित्व सुरक्षित था और लगभग 14 वी सदीं  तक बरकरार रहा।

इतिहास के अनुसार

इन्होंने की अयोध्या की स्थापना- सरयू नदी के तट पर बसे इस नगर की रामायण अनुसार विवस्वान (सूर्य) के पुत्र वैवस्वत मनु महाराज द्वारा स्थापना की गई थी।

माथुरों के इतिहास के अनुसार वैवस्वत मनु लगभग 6673 ईसा पूर्व हुए थे।

ब्रह्माजी के पुत्र मरीचि से कश्यप का जन्म हुआ। कश्यप से विवस्वान और विवस्वान के पुत्र वैवस्वत मनु थे।

वैवस्वत मनु के 10 पुत्र- इल, इक्ष्वाकु, कुशनाम, अरिष्ट, धृष्ट, नरिष्यन्त, करुष, महाबली, शर्याति और पृषध थे।

इसमें इक्ष्वाकु कुल का ही ज्यादा विस्तार हुआ। इक्ष्वाकु कुल में कई महान प्रतापी राजा, ऋषि, अरिहंत और भगवान हुए हैं। इक्ष्वाकु कुल में ही आगे चलकर प्रभु श्रीराम हुए।

अयोध्या पर महाभारत काल तक इसी वंश के लोगों का शासन रहा।

जैन मत के अनुसार यहां चौबीस तीर्थंकरों में से पांच तीर्थंकरों का जन्म हुआ था।

क्रम से पहले तीर्थंकर ऋषभनाथ जी, दूसरे तीर्थंकर अजितनाथ जी, चौथे तीर्थंकर अभिनंदननाथ जी, पांचवे तीर्थंकर सुमतिनाथ जी और चौदहवें तीर्थंकर अनंतनाथ जी।

इसके अलावा जैन और वैदिक दोनों मतो के अनुसार भगवान रामचन्द्र जी का जन्म भी इसी भूमि पर हुआ। उक्त सभी तीर्थंकर और भगवान रामचंद्र जी सभी इक्ष्वाकु वंश से थे।

इसका महत्व इसके प्राचीन इतिहास में निहित है क्योंकि भारत के प्रसिद्ध एवं प्रतापी क्षत्रियों (सूर्यवंशी) की राजधानी यही नगर रहा है। उक्त क्षत्रियों में दाशरथी रामचन्द्र अवतार के रूप में पूजे जाते हैं।

श्री राम मंदिर का विवरण

अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास की तैयारियां जोरों पर है। 5 अगस्त को दोपहर 12:15 पर अयोध्या में 11 पंडितों के द्वारा भूमि पूजन किया जाएगा।

 अयोध्या में भव्य राम मंदिर तीन मंजिला होगा। इसमें पांच गुंबद होंगे मंदिर का आकार 84600 वर्ग फिट का होगा। तीन मंजिला मंदिर में 318 खंबे होंगे और हर तल पर 106 खंबे बनाए जाएंगे।

 मंदिर में 50,000 से ज्यादा व्यक्ति  एक साथ पूजा कर सकेंगे।

मंदिर का नया मॉडल लगभग पुराने मॉडल जैसा ही होगा।

राम मंदिर के भूमि पूजन में त्रिवेणी संगम के जल का इस्तेमाल किया जाएगा।

इसमें गुढ मंडप समेत कीर्तन व प्रार्थना के लिए भी मंडप की व्यवस्था की गई है।

मंदिर का शिलान्यास

5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर का शिलान्याश किया|

अयोध्या में 2 दिन तक दीए जलाए गए और मंदिरों में लाइटिंग की गयी। 4 अगस्त को दीपदान कार्यक्रम होगा राम जन्मभूमि पर रंगोली की सजावट की गयी।

तो उन्हें हर तरफ त्रेता युग के जैसी तस्वीर देखने को मिले। प्रधानमंत्री मोदी के आने से पहले अयोध्या को नई-नवेली दुल्हन की तरह सजाया गया था। हर तरफ बहुरंगी छटा बिखेरे जाने की तैयारियां जोर-शोर से चल रही थी।

कार्यक्रम में अवधेशानंद सरस्वती, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, इकबाल अंसारी, मोहन भागवत, कल्याण सिंह और विनय कटियार उपश्थित थे।

गौरी गणेश के पूजन के साथ ही राम मंदिर के भूमि पूजन का तीन दिवसीय अनुष्ठान सोमवार को सुबह 9:00 बजे से राम जन्म भूमि परिसर में प्रारंभ हुआ।

साकेत कॉलेज से रामजन्मभूमि और हनुमानगढ़ी जाने वाले मार्ग के दोनों तरफ सभी भवनों की दीवारों पर त्रेता युग की झलक दिखलाते हुए रामायण कालीन प्रसंगों की आकृतियों को उकेरा गया था। कहीं भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्नन, हनुमान जी और ऐसे ही त्रेता युग से जुड़ी तस्वीरों को आकृति प्रदान किया गया था।

अयोध्या धाम के मणिराम दास छावनी में भूमि पूजन के लिए 1 लाख 11 हजार लड्डू बनाये गए थे। इन्हें स्टील के डिब्बे में पैक किया गया था। यह प्रसाद देवराहा बाबा स्थल से जुड़े अनुयाई ने बनवाया था।

ये लड्डू भूमि पूजन के दिन अयोध्या धाम व कई तीर्थ क्षेत्रों में वितरित किए गया| भूमि पूजन के दिन 111 थाल में सजे लड्डू को रामलला के दरबार में भेजा गया।

कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

स्कंद पुराण के अनुसार अयोध्या ब्रह्मा, विष्णु और शंकर भगवान की पवित्र स्थली है।

धार्मिक कथाओं के अनुसार भगवान राम के अपने धाम जाने के बाद अयोध्या नगरी वीरान हो गई थी। ऐसा कहा जाता है कि भगवान राम के साथ अयोध्या के कीट पतंग तक भी भगवान राम के धाम चले गए थे।

भगवान श्री राम के पुत्र कुश ने अयोध्या नगरी को दोबारा बसाया था। इसके बाद सूर्यवंश की अगली 44 पीढ़ियों तक अयोध्या का अस्तित्व बरकरार रहा। ऐसा कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद अयोध्या एक बार फिर वीरान हो गई थी।

अयोध्या को भगवान राम की नगरी कहा जाता है। मान्यता है कि यहां हनुमान जी सदैव वास करते हैं।

इसलिए अयोध्या आकर भगवान राम के दर्शन से पहले भक्त हनुमान जी के दर्शन करते हैं। यहां का सबसे प्रमुख हनुमान मंदिर “हनुमानगढ़ी” के नाम से प्रसिद्ध है।

 धर्म ग्रन्थों के आधार पर समाज की धारणा है कि जब श्रीराम जी प्रजा सहित दिव्यधाम को प्रस्थान कर गए तो सम्पूर्ण अयोध्या, वहाँ के भवन, मठ-मन्दिर सभी सरयू में समाहित हो गए|

अयोध्या का भूभाग शेष रहा। अयोध्या बहुत दिनों तक उजड़ी रही।

तत्पश्चात महाराज कुश जो कुशावती (कौशाम्बी) में राज्य करने लगे थे, पुनः अयोध्या आए और अयोध्या को बसाया, इसका उल्लेख कालिदास ने ‘रघुवंश’ ग्रन्थ में किया है।लोमश रामायण के अनुसार उन्होंने कसौटी पत्थरों के खम्भों से युक्त मन्दिर जन्मभूमि पर बनवाया।जैन ग्रन्थों के अनुसार दुबारा उजड़ी अयोध्या को पुनः ऋषभदेव ने बसाया।

वैवस्वत मनु के दस पुत्र थे। उनमें से एक इक्ष्वाकु के कुल में रघु हुए। रघु के कल में राम हुए।

राम के पुत्र कुश हुए कुश की 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए जो महाभारत के काल में कौरवों की ओर से लड़े थे।

शल्य की 25वीं पीढ़ी में सिद्धार्थ हुए जो शाक्य पुत्र शुद्धोधन के बेटे थे। इन्हीं का नाम आगे चलकर गौतम बुद्ध हुआ।

भगवान श्रीराम ने ही सर्वप्रथम भारत की सभी जातियों और संप्रदायों को एक सूत्र में बांधने का कार्य अपने 14 वर्ष के वनवास के दौरान किया था।

एक भारत का निर्माण कर उन्होंने सभी भारतीयों के साथ मिलकर अखंड भारत की स्थापना की थी। भारतीय राज्य तमिलनाडु, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश, केरल, कर्नाटक सहित नेपाल, लाओस, कंपूचिया, मलेशिया, कंबोडिया, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका, बाली, जावा, सुमात्रा और थाईलैंड आदि देशों की लोक-संस्कृति व ग्रंथों में आज भी राम इसीलिए जिंदा हैं।

14 वर्ष के वनवास में से अंतिम 2 वर्ष प्रभु श्रीराम दंडकारण्य के वन से निकलकर सीता माता की खोज में देश के अन्य जंगलों में भ्रमण करने लगे और वहां उनका सामना देश की अन्य कई जातियों और वनवासियों से हुआ।

उन्होंने कई जातियों को इकट्ठा करके एक सेना का गठन किया और वे लंका  की ओर चल पड़े। श्रीराम की सेना ने रामेश्वरम की ओर कूच किया। महाकाव्‍य ‘रामायण’ के अनुसार भगवान श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई करने के पहले यहां भगवान शिव की पूजा की थी। रामेश्वरम का शिवलिंग श्रीराम द्वारा स्थापित शिवलिंग है।

देखिये पूरा शिलान्याश का वीडियो

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