उपनिषद् की उक्ति है-‘उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत।‘ अर्थात- उठो, जागो और तब तक आगे बढ़ो,...

सूने तथा निर्जन घर में अकेला नहीं सोना चाहिए। देव मन्दिर और श्मशान में भी...