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बाहर की परिस्थितियां हमारे भीतर खुशी कैसे पैदा करेंगी ?

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खुशी किस चीज़ से मिलेगी इसकी सूची में कई बार छोटी सी छोटी चीज़ तो कई बार बड़ी से बड़ी चीज होती है ।

लेकिन इस खुशी को प्राप्त करने के लिए कई बार हमें बहुत कुछ त्याग भी करना पड़ता है ।

आओ खुश होंगे तो मै खुश होऊंगी ये समीकरण ठीक है ।

अगर मैं लो कि सामने वाला पहले से चिंता और तनाव में है तो वह खुश नही हो सकता है ।

अभी कुछ दिन पहले की बात है हमारे पड़ोसी के पास गाड़ी नही थी ।

उसकी पत्नी पति के जन्मदिन पर गिफ्ट देने के लिए बहुत मेहनत से एक शर्ट लेकर आई ।

जो पति को पसंद नही आई और उसने कहा कि मैं इसे रात में पहनकर सो जाऊंगा ।

पत्नी को यह बहुत बुरा लगा । उसने सोचा था कि पति खुश होगा तो उसे खुशी मिलेगी ।

लेकिन ऐसा हुआ नही कहीं न कहीं हमने यह समीकरण बाबा लिया है कि जब मेरे आस पास के लोग खुश होंगे तब मैं खुश होऊंगी ।

मेरे आस पास के लोग बीमार रहे और मैं खुश रहूं , ऐसा हो सकता है , इसमें स्वार्थ जैसी कोई बात नही है ।

यह बात सही है कि जब मेरे आस पास के लोग बीमार है यर उसमे भी वे लोग जो मेरे नजदीकी संबंधी है ।

उनका ध्यान रखने से पहले मुझे स्वयं का ध्यान रखना होगा ।

ओरो को खुश करने के लिए सिर्फ काम पर ध्यान रखना जरूरी नही है कि मैं ये करूँगा , मैं वो करूँगी तो वो खुश हो जाएंगे ।

इसका मूलमंत्र यही है कि – मैं खुश रहूंगी तभी वे खुश होंगे । कितनी बार हम मानते भी है कि तुम मुझे खुश देख ही नही सकते हो ।

मन दूसरे की मां की स्थिति निर्भर कर रही है ।

सुबह मैं अच्छे मूड में थी लेकिन आपका मूड ठीक नही था और मैं परेशान हो गयी । फिर मैं इसका सारा दोष आपको देती हूं ।

आपका मूड ठीक नही है वो आपके मन की स्थिति है लेकिन मैं अपने ऊपर नियंत्रण नही रख पाई । ये मेरी गलती है ।

ये सब इसलिए हो रहा है कि हमारे जीवन का समीकरण ही व्यवस्थित नही है ।

जिसके कारण जीवन मे बहुत सारे विवाद और उलझने आती है ।

हमने सोचा था कि मैं ये करूँगी तो मैं खुश होऊंगी बच्चे के अच्छे नंबर आएंगे तो मैं खुश होऊंगी , नौकरी होगी , शादी हो जाएगी तब मैं खुश होऊंगी मैने ये सोचकर पिज़्ज़ा बनाया की उसे खाकर बच्चों को अच्छे लगेगा ।

बच्चे बहुत खुश है , उनको खुश देखकर आप भी खुश है ।

उसी समय बॉस का फोन आता है और वाज किसी बात पर नाराज़ है ।

आप अचानक दुखी हो जाती हैं। इस परिस्थिति में खुश गुम होने में समय तो नही लगा ।

माना मेरा जीवन परिस्थितियों पर निर्भर हो चुका है ।

लोगो के मूड , स्वभाव – संस्कार पर मेरी मानसिक स्थिति निर्भर हो चुकी है तो मैं कैसे खुश रह सकती हूं ।

ये सारी परिस्थितियां बाहर की है तो अब प्रश्न उठता हौ की बहार की परिस्थिति हमारे अंदर की खुशी कैसे पैदा करेगी ?

जब मेरे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता ही कम है तब मुझे सभी प्रकार के संक्रमण हो जाते है ।

अगर मैं शरीर का अच्छे से ध्यान रखती हूं तो कोई वायरस अटैक नही कर सकता है ।

उसी प्रकार जब मैं अपने मन का अच्छे से ध्यान रखूंगी यो बाहर की परिस्थितियों का प्रभाव हमारे मन पर नही पड़ेगा