अंतरमन से पूछेंगे तो सही सलाह मिलेगा

कोशिश की जाए, जीवन में कोई गलत काम न हो।

ऐसा कहते है कि छह स्थितियों में किए गए गलत काम की कीमत दुसरे को चुकानी पड़ती है।

चलिए, समझते हैं ये छह स्थितियां कौन सी है।

पहली स्थिति है प्रजा की। प्रजा यदि पापकर्म करे तो उसकी कीमत राजा चुकाएगा ।

पत्नी कोई गलत काम करे तो कीमत पति को चुकानी पड़ेगी।

पति के गलत काम का मोल पत्नी को चुकाना है, संतानों के अनुचित कृत्य माता – पिता पर उतरते हैं और माता-पिता के गलत आचरण का परिणाम संतान को भुगतना पड़ता है।

इसी प्रकार छठी स्थिति है भक्त की। भक्त जब कोई पापकर्म करे तो कीमत भगवान को चुकानी पड़ती है।

अब सोचिए , कही हमसे तो कोई गलत काम नही हो रहा है?

यह तय है कि यदि आपने कोई पापकर्म किया है तो खुद तो उसकी कीमत चुकाएंगे ही,दुसरो को भी परेशानी में डाल देगे।

इसलिए जब कभी कोई गलत काम करने जाएं, एक बार अपनी आत्मा को जरू स्पर्श कीजिए।

शरीर से सलाह लेने जाएंगे तो वह बुद्धि चूंकि भेद करती है, तर्क करती है तो हो सकता है विलंब हो या अनुचित सलाह मिल जाए।

थोड़ा आगे बढ़कर यदि मन को टटोले तो उसका तो पहला काम ही है गलत की ओर धकेलना।

लेकिन, जैसे ही आत्मा पर टिकेगे और आत्मा से पूछेंगे तो एकदम सही सलाह मिलेगी।

इसलिए कुछ भी गलत करने से पहले एक बार अपने अंतरतम मे जरूर उतरिएगा। वरना आपके गलत कामों की कीमत आपके अपने भी चुकाएंगे

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