हे भूत-भावन भोलेनाथ! ले जगदाधार! हे जगदीश्वर! हे कण-कण में सत्य, शिव, सुंदर के प्रतिष्ठापक, परम आराध्य देव शिव! श्रद्धाभाव से विनती भरी प्रार्थना स्वीकार करें।
इस असार संसार में सार तत्व तो आपका ही नाम है, आपके ही सार तत्व सर्वत्र समाये हैं।
यह तत्व हमारी वाणाी में बसें, हमारे हृदय में उतरें और हमारे कर्म तथा व्यवहार के माध्यम से हमारे कृत्यों में और कृतियों में प्रकट हों प्रभु हम जहां भी देखें वही आपकी महिमा आनंदित हो उठे, उस आनंद को गहराई देना भगवान, जिससे उसे अपने जीवन में ढालें और सर्वत्र उसका सम्यक विस्तार करें।
हे सत्य, शिव, सुंदर प्रभु! आपका दिव्य प्रेम ही है जो सारे संसार में उदारता के रूप् में, नदियों के प्रवाह के रूप में तथा हवाओं के प्रवाह रूप में हमे निरंतर जीवन देता है।
प्रभु! हमें उस प्रेम को धारण करने की शक्ति दें, जो हमारी जीवनीर शक्ति को बढ़ाए और हमारे जीवन की रक्षा भी करे।
हर पीड़ित के कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर सके। हम किसी की जिंदगी लें नहीं, बल्कि सभी को जिंदगी दें। हम हिंसा से दैव बचें, कलंक ओर प्रतिशोध से ऊपर उठ सकें।
हे प्रभु! दिनों-दिन हमारी उन्नति हो, हमारी प्रगति हो। हमारा मन पवित्र और स्वच्छ होकर सदैव आपके चरणों में समप्रित रहे। आपकी कृपा दृष्टि से हमारा हर दिन शुभ दिन बने, हमारा प्रत्येक क्षण शुभ हो। हमारा हर कृत्य शुभत्व से जुड़े।
यह विनती है प्रभु! इसे स्वीकार कीजिए हमारे दीनदयाल!
।। ओउम् शान्तिः शान्तिः शान्तिः ओउम्।।
-आचार्य सुधांशु