गुस्सा नहीं करेंगे तो एक-दूसरे में प्यार, विश्वास और सम्मान बढ़ेगा

love trust and respect

हमने ऐसे-ऐसे माता-पिता देखे हैं जिनके बच्चे पढ़ने विदेश चले जाते हैं।

माता-पिता उन्हें यहां से फोन करके उठाते हैं, फिर दस मिनट के बाद फोन करते हैं कि अभी वो उठा नहीं होगा।

क्योंकि हम उसी तरीके से चलते आ रहे हैं। फिर कहेंगे बच्चों को उठाने के लिए गुस्सा करना पड़ता है। ऑफिस में काम कराने के लिए गुस्सा करना पड़ता है।

ये हमारा तरीका बन गया है, जिससे हमारे संस्कार गहरे होते गए। फिर थोड़े दिन के बाद तो सोचना ही नहीं पड़ेगा गुस्सा अपने आप ही आ जाएगा।

फिर हमने कहा की गुस्सा आना तो सामान्य है। भले ही हमारे आसपास ये दिखेगा भी कि गुस्से से बोलो तो काम जल्दी हो जाता है।

अगर आप किसी को कहेंगे कि टेबल को हटाओ तो कहेगा अभी हटाते हैं, फिर कहते हैं प्लीज टेबल को हटाओ तो कहेगा अभी हटाते हैं।

फिर अगर आप थोड़ा सा जोर से बोलते हैं तो टेबल फटाफट उसी समय हट जाएगा।


जैसे ही हमने ये देखा तो हमारी यह मान्यता बन जाती है कि गुस्से से बोला तो काम जल्दी हो गया।

अब समय की कमी है, अगली बार हम तीन तरीके इस्तेमाल करके नहीं बोलेंगे, क्योंकि काम जल्दी करवाना है तो हम पहली बार में ही गुस्से वाला तरीका ही इस्तेमाल करके बोलते हैं क्योंकि गुस्से से काम होता हुआ दिखाई दे रहा है।

फिर में किसी विशेष व्यक्ति के साथ वो वाला तरीका इस्तेमाल नहीं करूंगी बल्कि अब वो मेरा संस्कार बन चुका है।

फिर वो सिर्फ ऑफिस में नहीं रहेगा जब आप शाम को घर आएंगे तो भी सबके साथ गुस्से से ही बात करेंगे। फिर उसका प्रभाव बच्चों पर पड़ता है।

हम आपने परिवार को खुशी देना चाहते थे और दे क्या रहे है? जितना हम उनको गुस्सा दे रहे हैं वो भी वैसे ही बनते जा रहे है। फिर हम कहते हैं कि आजकल बच्चे और युवा देखो कैसे हो गए है।

आजकल के बच्चों में कुछ भी बदला हुआ नहीं है, लेकिन सारा दिन हम उनको कौन सी एनर्जी दे रहे हैं और ये सब इसलिए हो रहा है। कि हमने कहा कि गुस्से से काम हो जाता है।

गुस्सा करने से हमारे मन, शरीर और रिश्तों का नुकसान होता है और हम कहते हैं कि काम हो जाता है। काम जल्दी क्यों करवाना था? क्योंकि मुनाफा बढ़ेगा।

जितना लाभ होगा उससे हमारे घर में पैसा आएगा। पैसा आएगा तो खुशी आएगी। आखिर हम खुशी प्राप्त करने के लिये ये सब करते गए जो कि सही नहीं था।

लंबे समय से ऐसा करते करते वो हमारा तरीका बन गया है। अब हम इसे बदलने के लिए प्रयोग शुरू करते है। अब हम गुस्से से नहीं बल्कि प्यार से काम करवाकर देखते हैं।

क्या होगा? काम थोड़ा धीरे होगा हो सकता है कि थोड़ा मुनाफा भी कम होगा, लेकिन ऐसा होता नहीं है।

गुस्सा नहीं करने से एक तो हमारी खुशी बढ़ जाती है, हमारी टीम की काम करने की इच्छा बढ़ जाती है, क्योंकि हम एक-दूसरे के ऊपर चिल्लाना बंद कर देते है।

हमारा एक-दूसरे के ऊपर प्यार, विश्वास, सम्मान बढ़ चुका होता है, क्योंकि हमने गलत व्यवहार करना बंद कर दिया।

जब हमारा ये बदल चुका होता है तो घर जाने के बाद बच्चों के साथ व्यवहार भी बदल चुका होता है।

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