एक विद्यार्थी अपनी पढ़ाई-लिखाई के जितने भी प्रयास करे, उसे एक काम और करना चाहिए-मन को वर्तमान पर टिकाने का अभ्यास।
विद्यार्थी जीवन में तो मदद करता है, इस उम्र-इस दौर में आत्मा की अधिक बात न की जाए, लेकिन विद्यार्थी मन उसे बहुत भटकाता है।
इस मन को यदि वर्तमान पर टिका दे तो वह अतीत से कट जाएगा, भविष्य में छलांग मारना छोड़ देगा और यहीं से जीवन में एकाग्रता आ जाती है।
मन का वर्तमान पर टिकना ही एकाग्रता है। जो लोग कम्प्यूटर का उपयोग करते हैं, उन्होंने की-बोर्ड भी चलाया होगा।
जब की-बोर्ड सीखना शुरू करते हैं तो ध्यान से देख-देखकर अक्षरों पर अंगुलियां चलाना पड़ती हैं।
लेकिन, धीरे-धीरे अपनें आप अंगुली अक्षरों पर जाने लगती है।
ऐसे ही साइकिल चलाना सीखते समय पहली बार तो लगता है जीवन में इससे कठिन काम कोई नहीं।
लेकिन, दो-चार-दस बार बार पैडल लगे कि संतुलन अपने आप बनने लगता है।
मन के साथ ऐसा ही प्रयोग करना पड़ता है।
इसे अभ्यास में डाल देंगे तो जैसा आप कहेंगे, वह वैसा करने लग जाएगा।
जैसे अभ्यास होने के बाद की-बोर्ड पर जहां अंगुली रखना चाहते हैं, वहीं जाएगी, जिधर साइकल का हैंडल मोड़ना चाहेंगे, उधर मुड़ने लगेगा। मन भी वैसा ही हो जाएगा, लेकिन उसे अतीत और भविष्यकाल से काटने के लिए योग का सहारा लेना पड़ेगा।
विद्यार्थी कितना ही व्यस्त हो, थोड़ा समय ध्यान-प्राणायाम और योग को जरूर दें।