प्रार्थना
हे दीनानाथ! हे प्रभु!
ऐसा आशीष दो कि हर किसी का जीवन, उसका परिवार सुख समृद्धि से भरापूरा हो उठे।
हे घट-घट के वासी प्रभु! हम सब आपके पुत्र-पुत्रियां आपके श्रीचरणों में श्रद्धानत होकर लिए, सद्विवेक, सद्ज्ञान, सुख-शांति की कामना के साथ प्रणाम करते हैं।
हे दाता, दीनदयाल! हम सबकी यही कामना है, कि हम आपके अनुशासन में चल सकें और आपके अच्छे-सच्चे भक्त कहला सकें, आपके प्यारे पुत्र-पुत्रियां बनकर सदा निष्काम भाव से कर्म करते रहें।
हमारा मन, हमारी बुद्धि, हमारी आत्मा हमेशा पवित्र बनी रहे, हमारे अंग-प्रत्यंग सदा सेवा में संलग्न रहें।
हम सदा सत्यपथ का अभ्यास कर सकें। हमार हृदय विशाल हो और आपकी प्रेममय भक्ति, करूणा और दया से भरा रहे।
हे नारायण! हम पर कृपा करो कि हमारा इस दुनिया में आना सार्थक हो, हम अपने हर दिन को शुभ दिन सिद्ध कर पाए , हर घड़ी बना पाए, ऐसा आशीष हमें प्रदान कीजिए।
हम सदा सेवारत रहें।हमारे द्वारा इस जगत में ऐसे कर्म हों कि यह शरीर छूटने के बाद भी उनकी सुगंध संसार में बनी रहे, और हम इस शरीर को छोड़ते समय आहलादित अनुभव कर सकें। ऐसा कृपापूर्ण आशीर्वाद हमें प्रदान कीजिए।
हे परम दयालुदेव! आप कृपानिधान हैं, आपकी कृपा बिना क्षणमात्र जीवन असंभव है।
अतः एक ही विनम्र याचना है कि जिस प्रकार सबके ऊपर आपकी कृपा बरस रही है, हम सब पर भी दया कीजिए, सबके घर-परिवार सुख-समृद्धि से भरपूर हों, सभी की शुभकामनाएं पूर्ण हों, हम आपके कहलाने के अधिकारी बनें।
हमारी यही विनती आपके दरबार में स्वीकार हो और हमारे साथ-साथ सबका बेड़ा पार हो नाथ।
ऊँ शांतिः। ऊँ शांतिः।। ऊँ शांतिः।।।
-आचार्य सुधांशु